स्व. बुधरमल खेतावत की स्मृति में मेधावी विद्यार्थियों का सम्मान समारोह,
समाजसेवी विनोद खेतावत पिछले कई वर्षों से शहर की दर्जनों सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़े रहते हुए अपना सामाजिक कार्य करते आ रहे हैं इसके अलावा श्री खेतावत शहर के पेड़ों के नीचे और एकांत स्थान पर लावारिस रूप में पड़ी देवी देवताओं की खंडित मूर्तियों का भी विसर्जन एक सच्चे समाज सेवक के रूप में करते आ रहे हैं

नगांव 18 जून(असम.समाचार)
विकास शर्मा
विशिष्ट समाजसेवी व शिक्षाविद स्वर्गीय बुधरमल खेतावत की पुण्यस्मृति में एक सम्मान समारोह का आयोजन गत दिनों नगांव के लायंस क्लब सभागार में किया गया, जिसमें जिले के विभिन्न उच्च एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत स्व. बुधरमल खेतावत के सुपुत्र एवं जाने-माने व्यवसायी तथा समाजसेवी विनोद खेतावत के स्वागत भाषण से हुई। इसके उपरांत आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय, नगांव के अध्यक्ष अपूर्व दास ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि त्याग, अनुशासन और परिश्रम के बल पर कोई भी छात्र न केवल एक सफल विद्यार्थी बन सकता है, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में देश सेवा में भी योगदान दे सकता है।
समारोह में मोरीगांव महाविद्यालय के उपाध्यक्ष डॉ. धनंजय कुश्रे, वरिष्ठ पत्रकार कनक हजारिका, सेवानिवृत्त शिक्षक नवकुमार महंत, प्रधानाध्यापक किशोर देव, शिक्षा अधिकारी श्रुतिमाला गायन, समाजसेवी ओम प्रकाश जाजोदिया, अधिवक्ता जयंत कुमार बरदलै, छात्र नेता रिंकू बोरा और असम उन्नति सभा के अमरजीत गोस्वामी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार महतो के कुशल संचालन में आयोजित इस गरिमामय समारोह में विद्यार्थियों को उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया, जिससे उपस्थित जनसमूह में प्रेरणा और उत्साह का संचार हुआ।
इस कार्यक्रम ने स्व. बुधरमल खेतावत की शिक्षायी एवं सामाजिक विरासत को सजीव कर दिया, जिनका जीवन सदैव समाज के उत्थान और शिक्षा के प्रसार को समर्पित रहा।
ध्यान देने योग्य है कि समाजसेवी विनोद खेतावत पिछले कई वर्षों से शहर की दर्जनों सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़े रहते हुए अपना सामाजिक कार्य करते आ रहे हैं इसके अलावा श्री खेतावत शहर के पेड़ों के नीचे और एकांत स्थान पर लावारिस रूप में पड़ी देवी देवताओं की खंडित मूर्तियों का भी विसर्जन एक सच्चे समाज सेवक के रूप में करते आ रहे हैं