असम

गोरुखुटी परियोजना पर सियासी तूफान, गौरव गोगोई ने की जांच की मांग, मुख्यमंत्री ने दी सफाई

गुवाहाटी, 29 जून(असम.समाचार)

विकास शर्मा

गोरुखुटी बहुउद्देश्यीय कृषि परियोजना को लेकर असम की राजनीति में घमासान मच गया है। कांग्रेस नेता एवं लोकसभा सांसद गौरव गोगोई ने इस परियोजना में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जांच की मांग की है। वहीं मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि जो गायें विधायकों को दी गईं, वे “बीमार” थीं और परियोजना के सुपरवाइजर उन्हें रखने में असमर्थ थे।

 

गौरतलब है कि असम सरकार द्वारा 77,000 बीघा अतिक्रमणमुक्त भूमि पर गोरुखुटी परियोजना शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य आधुनिक खेती के जरिए आत्मनिर्भर कृषि को बढ़ावा देना था। परियोजना के तहत गुजरात से उच्च-दुग्ध उत्पादन वाली गीर नस्ल की गायें मंगाई गई थीं।

आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकार दिलीप नाथ की आरटीआई के जवाब में गोरुखुटी समिति ने बताया कि NDDB-NDS द्वारा आपूर्ति की गई 300 गीर गायों में से 210 गायें परियोजना स्थल पर पहुंचीं, जबकि शेष 90 गायों को जनप्रतिनिधियों के माध्यम से किसानों को बांटा गया, क्योंकि परियोजना स्थल पर संरचना की कमी थी। प्राप्त 210 गायों में से 56 की मृत्यु हो गई, जबकि 154 गायों को वापस कर दिया गया, जिससे स्पष्ट होता है कि परियोजना स्थल पर अब कोई गाय नहीं बची है।

दस्तावेजों के अनुसार, जिन जनप्रतिनिधियों को गायें बेची गईं, उनमें शामिल हैं:

गौहाटी महानगर विकास प्राधिकरण (GMDA) के उपाध्यक्ष – 2 गाय

मंगलदोई सांसद – 2 गाय

कमलपुर विधायक – 2 गाय

जोनाई विधायक – 10 गाय

गोहपुर विधायक – 4 गाय

JMB Aqua Agro लिमिटेड – 20 गाय

सभी गायें ₹66,000 प्रति गाय की दर से बेची गई थीं। मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि सरकार के पास विकल्प नहीं था क्योंकि गायें बीमार थीं और विधायकों ने उन्हें खरीदने की इच्छा जताई थी।

वहीं कांग्रेस नेता गोगोई ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा, की करोड़ों की सरकारी सहायता से चल रही यह परियोजना जनकल्याण के लिए थी, लेकिन सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि लाभ चुनिंदा जनप्रतिनिधियों को मिला। यह पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों के खिलाफ है।”

गोगोई ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने दुग्ध परियोजना के लाभार्थियों में मंत्रियों के परिजनों को शामिल किए जाने को भी उचित ठहराया।

अब जब मामले ने तूल पकड़ लिया है, तो विपक्ष पूरी जांच की मांग कर रहा है, जबकि सरकार सफाई देने में जुटी है। गोरुखुटी परियोजना पर उठे सवालों ने राज्य सरकार को कटघरे में ला खड़ा किया है।

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