स्वास्थ्य

अरुणाचल प्रदेश की पद्मश्री हर्बल चिकित्सक यानुंग जामोह लेगो को सेना ने किया सम्मानित

स्वदेशी चिकित्सा पद्धति और पारंपरिक ज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए मिला सम्मान

जयप्रकाश अग्रवाल

तेजपुर, 10 जुलाई

अरुणाचल प्रदेश की प्रसिद्ध हर्बल औषधि विशेषज्ञ एवं पद्मश्री सम्मान प्राप्त यानुंग जामोह लेगो को भारतीय सेना द्वारा बुधवार को सिगार सैन्य स्टेशन में एक गरिमामय समारोह में सम्मानित किया गया। सेना की प्रतिष्ठित स्पीयर कोर ने उन्हें स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों और पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों के प्रचार-प्रसार में उनके दशकों पुराने योगदान के लिए यह सम्मान प्रदान किया।

पूर्वी सियांग जिले के सिका-टोडे गाँव निवासी लेगो वर्ष 1995 से पारंपरिक चिकित्सा का अभ्यास कर रही हैं। हर्बल चिकित्सा के क्षेत्र में उनके विशिष्ट कार्यों ने उन्हें देशभर के शोधकर्ताओं और पीएचडी विद्वानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना दिया है। समारोह में स्पीयर कोर के कमांडर ने उन्हें स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया और उनके समर्पण की सराहना की।

समारोह में उपस्थित जनसमुदाय और सेना के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए 61 वर्षीय चिकित्सक लेगो ने कहा, “पैड पौधों और जड़ी-बूटियों के अपने विशेष औषधीय और उपचारात्मक गुण होते हैं। यह विशाल प्रकृति रुपी माँ की गोद में उपलब्ध एक अमूल्य धरोहर है, जो मानव जाति के लिए एक उपहार स्वरूप है।”

उन्होंने पारंपरिक ज्ञान को समग्र स्वास्थ्य सेवा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बताते हुए इसके संरक्षण और संवर्धन पर ज़ोर दिया। लेगो ने कहा कि यदि पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों का संतुलित समन्वय हो तो यह स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है।

पेशे से कृषि वैज्ञानिक रहीं लेगो ने असम कृषि विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है और 2023 में अपनी सेवानिवृत्ति तक अरुणाचल प्रदेश सरकार में जिला कृषि अधिकारी के पद पर कार्यरत रहीं। हर्बल चिकित्सा के प्रति उनका लगाव बचपन से ही उनके पिता से प्रेरित रहा, जो एक सम्मानित ग्रामीण चिकित्सक थे।

लेगो ने पारंपरिक ज्ञान और औषधीय पौधों के संरक्षण को बढ़ावा देने हेतु ‘स्वदेशी हर्बल हेरिटेज’ नामक पहल की शुरुआत की है। इस अभियान के अंतर्गत वे हर वर्ष हजारों औषधीय पौधों का रोपण करवाती हैं और लाखों लोगों को हर्बल चिकित्सा एवं जैव विविधता संरक्षण हेतु शिक्षित और प्रशिक्षित करती हैं।

भारतीय सेना द्वारा दिया गया यह सम्मान न केवल लेगो के योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देता है, बल्कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की उपयोगिता और प्रासंगिकता को भी रेखांकित करता है।

 

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