असम

पूर्वोत्तर भारत में राजस्थानी अस्मिता को मिला नया आधार, गुवाहाटी में बनेगा “राजस्थान भवन”

जयपुर में होगा "पूर्वोत्तर भारत सांस्कृतिक उत्सव", सभी मुख्यमंत्रियों को भेजा जाएगा आमंत्रण

विकास शर्मा

गुवाहाटी 30 जुलाई/असम.समाचार

पूर्वोत्तर भारत में बसे प्रवासी राजस्थानियों की सांस्कृतिक पहचान, सामाजिक समरसता और भावनात्मक एकता को सुदृढ़ करने की दिशा में राजस्थान फाउंडेशन असम एवं नॉर्थईस्ट चैप्टर ने एक ऐतिहासिक पहल की है। गुवाहाटी में राजस्थान भवन की स्थापना अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है।

हाल ही में असम सरकार के मुख्य सचिव के साथ आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में राजस्थान फाउंडेशन के अध्यक्ष रतन शर्मा ने राजस्थान भवन की आवश्यकता, उद्देश्य और सांस्कृतिक महत्व को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। बैठक में जानकारी दी गई कि कामाख्या मंदिर के निकट एक उपयुक्त भूमि स्थल की पहचान प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है, और विभिन्न विभागीय औपचारिकताएं तीव्र गति से संपन्न की जा रही हैं। उम्मीद की जा रही है कि आगामी 1 से 2 महीनों में यह भूमि राजस्थान सरकार को विधिवत रूप से आवंटित कर दी जाएगी।

असम के मुख्य सचिव ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा, “ऐसे ही प्रयासों से समाज और राज्यों के बीच समझ, विश्वास और समरसता बढ़ती है।”

जयपुर में होगा “पूर्वोत्तर भारत सांस्कृतिक उत्सव”

राजस्थान भवन परियोजना के साथ-साथ एक और महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए रतन शर्मा ने बताया कि राजस्थान फाउंडेशन जल्द ही जयपुर में ‘पूर्वोत्तर भारत सांस्कृतिक उत्सव’ का आयोजन करेगा। इस भव्य कार्यक्रम में असम सहित पूर्वोत्तर भारत के सभी मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया जाएगा। उत्सव का उद्देश्य पूर्वोत्तर की विविध सांस्कृतिक विरासत को राजस्थान की भूमि पर प्रस्तुत करना है, जिससे दोनों क्षेत्रों के बीच भावनात्मक और सांस्कृतिक सेतु को और अधिक सशक्त किया जा सके।

इस आयोजन में राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री और मंत्रीगण की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी। शर्मा ने स्पष्ट किया, “यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर और राजस्थान के बीच आत्मीय संबंधों की एक नई शुरुआत होगी।”

“मारवाड़ी नहीं, राजस्थानी कहें”

समारोह के दौरान रतन शर्मा ने एक भावनात्मक अपील भी की। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि हम गर्व से स्वयं को ‘राजस्थानी’ कहें। ‘मारवाड़ी’ एक सीमित पहचान है, जबकि ‘राजस्थानी’ शब्द हमारी समूची सांस्कृतिक विविधता और गौरव को समाहित करता है।”

नेतृत्व की मिसाल

राजस्थान फाउंडेशन के अध्यक्ष रतन शर्मा ने जिस दूरदर्शिता, नेतृत्व क्षमता और समर्पण से यह पहल शुरू की है, वह न केवल असम और पूर्वोत्तर भारत के प्रवासी राजस्थानियों के लिए, बल्कि पूरे देश में बसे राजस्थानी समुदाय के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन रही है।

राजस्थान फेडरेशन नॉर्थईस्ट, प्रवासी राजस्थानियों के लिए एक सामाजिक ढाल के रूप में उभर रहा है, जो न केवल उनके सांस्कृतिक संरक्षण का कार्य कर रहा है, बल्कि उन्हें एक सशक्त और संगठित मंच भी प्रदान कर रहा है।

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