अपराध

कोकराझार:गौपनीय सूचना पर पुलिस की छापेमारी, अवैध सुअर लदी बोगी पकड़ी गई

गौपनीय सूचना पर पुलिस की छापेमारी, अवैध सुअर लदी बोगी पकड़ी गई – दो पशु चिकित्साधिकारी निलंबित, किसानों का आधी रात को रेल रोको आंदोलन

कोकराझार 6 जुलाई(असम.समाचार)

कनक चंद्र बोरो

 

डिब्रुगढ़-कन्याकुमारी विवेक एक्सप्रेस में अवैध रूप से लाए जा रहे सुअरों की बड़ी खेप को असम पुलिस और राज्य पशुपालन विभाग की संयुक्त कार्रवाई में श्रीरामपुर रेलवे स्टेशन पर जब्त कर लिया गया। इस कार्रवाई के बाद जहां दो पशु चिकित्साधिकारी निलंबित कर दिए गए हैं, वहीं नाराज सुअर पालकों ने कोकराझार रेलवे स्टेशन पर आधी रात को रेल रोको आंदोलन किया।

गौरतलब है कि यह कार्रवाई असम और पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित श्रीरामपुर स्टेशन पर गुप्त सूचना के आधार पर की गई। ट्रेन की एक कोच में 104 सुअर भरे गए थे, जिसे तुरंत ट्रेन से अलग कर लिया गया। इससे विवेक एक्सप्रेस करीब एक घंटे तक रुकी रही। बताया जा रहा है कि ये सुअर असम के बाहर से लाए जा रहे थे, जो राज्य सरकार द्वारा अफ्रीकन स्वाइन फीवर (ASF) की रोकथाम के लिए जारी अंतरराज्यीय पशु आवागमन पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन है।

अवैध तस्करी पर विरोध:

इस कार्रवाई के बाद असम पिग फार्मर्स एसोसिएशन ने कोकराझार रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन करते हुए रेल मार्ग को बाधित किया। किसानों का आरोप था कि सरकार एसओपी लागू करने में असफल हो रही है, जिससे अवैध पशु व्यापारियों का नेटवर्क फल-फूल रहा है और राज्य के पशुधन पर संकट गहराता जा रहा है। प्रदर्शन के दौरान एक प्रदर्शनकारी को हिरासत में लिया गया, जिसे बाद में रिहा कर दिया गया।

रेलवे सुरक्षा बल को कई प्रमुख स्टेशनों पर तैनात कर दिया गया है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।

निलंबन व जांच:

इस मामले में श्रीरामपुर चेकगेट पर तैनात दो अधिकारियों — डॉ. तरणीकांत कलिता (SDO, गोसाईगांव) और डॉ. गौतम मजूमदार (पशुचिकित्सा अधिकारी, श्रीरामपुर) को निलंबित कर दिया गया है। दोनों पर एसओपी के पालन में लापरवाही का आरोप है और जांच शुरू कर दी गई है।

डीएसपी देबोजीत महंत का बयान:

“हमें बाहर से सुअर लाए जाने की गुप्त सूचना मिली थी। हमारी टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए ट्रेन की जांच की और सुअर लदी बोगी को श्रीरामपुर स्टेशन पर अलग कर लिया। संबंधित विभाग के सहयोग से उचित कार्रवाई की गई है।”

यह घटना न केवल राज्य में एएसएफ के खतरे को रेखांकित करती है, बल्कि पशुपालन नीति के क्रियान्वयन की चुनौतियों को भी सामने लाती है। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि एसओपी का सख्ती से पालन नहीं किया गया तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।

 

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!