असम

नगांव में ई-रिक्शा बने जानलेवा सवारी, प्रशासन की अनदेखी पर उठे सवाल

नगांव 29 जून(असम.समाचार)

विकास शर्मा

नगांव शहर के म्युनिसिपल क्षेत्र में ई-रिक्शा, जिन्हें स्थानीय तौर पर ‘टमटम’ कहा जाता है, ने आमजन के लिए एक गंभीर यातायात संकट खड़ा कर दिया है। इन बैटरी चालित वाहनों की अनियंत्रित संख्या, ट्रैफिक नियमों की खुलेआम धज्जियाँ और चालक वर्ग की लापरवाह प्रवृत्ति ने सड़कों को मानो ‘चलती फिरती आफत’ में बदल दिया है।

बिना पंजीकरण, सड़कों पर खुलेआम दौड़

विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नगांव जिले के संबंधित कार्यालय में जितने ई-रिक्शा पंजीकृत हैं, सड़क पर उनकी तुलना में तीन से चार गुना अधिक ई-रिक्शा चल रहे हैं। यह वाहन अधिकतर अवैध रूप से बिना रजिस्ट्रेशन और फिटनेस प्रमाणपत्र के सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह दृश्य प्रतिदिन की आम बात बन चुकी है, और जिला प्रशासन की आंखों के सामने यह सब होते हुए भी किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।

किशोर ड्राइवर और लापरवाही भरी ड्राइविंग

नगांव शहर में ई-रिक्शा चालकों की बड़ी संख्या किशोरों की बताई जा रही है। नाबालिग चालक बिना ड्राइविंग लाइसेंस के वाहन चलाते हैं। कई बार तो यह देखा गया है कि चालक मोबाइल फोन पर बात करते हुए या संदेश टाइप करते हुए वाहन चला रहे हैं। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा पूरी तरह रामभरोसे रह गई है।

स्थानीय निवासी दिलीप बरुवा बताते हैं,
“कई बार देखा है कि 15-16 साल के लड़के ई-रिक्शा चला रहे हैं। उनकी ना तो सड़क पर नजर होती है, ना सवारी पर। ट्रैफिक पुलिस उन्हें देखकर भी अनदेखा कर देती है। जब कोई हादसा होता है, तभी सब हरकत में आते हैं।”

नियमों की अनदेखी और प्रशासन की चुप्पी

नगांव शहर के मुख्य चौक-चौराहों – जैसे मोरीगांव बस स्टैंड के निकट, हैबरगांव बाजार,धींग गेट इलाका,हाइवे क्रॉसिंग,जाजोरी रोड और मोरिकलँग इलाका,ढाकापट्टी,मुल्लापट्टी आदि अनेक इलाकों पर रोजाना यातायात जाम की स्थिति बनती है। इन ई-रिक्शा चालकों की मनमानी और गलत दिशा में ड्राइविंग ने दुर्घटनाओं की दर में भी इजाफा किया है।

पिछले एक महीने में ई-रिक्शा से संबंधित कम से कम दर्जनों सड़क हादसे दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें दो मामले गंभीर घायल के हैं। बावजूद इसके न ट्रैफिक पुलिस की सक्रियता दिखती है, न ही परिवहन विभाग की।

नोकझोंक और मारपीट की घटनाएं आम

दिन-ब-दिन बढ़ती अराजकता के कारण राहगीरों और ई-रिक्शा चालकों के बीच बहस, नोकझोंक और मारपीट की घटनाएं भी आम हो गई हैं। व्यापारिक संगठनों और नागरिक समितियों ने इस विषय में कई बार मौखिक रूप से यातायात विभाग को जानकारी भी दी, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।

स्थानीय संगठनों की मांग – हो ठोस कार्यवाही

नगांव शहर के अनेक संगठनों ने कहा है कि
“ नियमविहीन ई-रिक्शा बंद हों, चालकों की उम्र और लाइसेंस की जांच हो, लेकिन कार्रवाई केवल कागजों तक सीमित है।”

स्थानीय सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि:

बिना पंजीकरण के चल रहे सभी ई-रिक्शा जब्त किए जाएं।

चालकों की आयु और लाइसेंस की अनिवार्य जांच हो।

मुख्य चौराहों पर यातायात व्यवस्था सुदृढ़ की जाए।

स्कूल-कॉलेज के आसपास ई-रिक्शा संचालन पर समयबद्ध रोक लगे।

प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार

रिपोर्ट लिखे जाने तक जिला परिवहन अधिकारी या ट्रैफिक पुलिस विभाग की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, नागरिकों को उम्मीद है कि अब इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाएगा और नगांव की सड़कों को फिर से सुरक्षित बनाया जा सकेगा।

 

 

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