शिक्षा

धान की रोपाई सीखते बच्चे: चिनामरा राष्ट्रीय विद्यालय में अनोखी कृषि कार्यशाला

दीपक मुख्तियार(असम.समाचार)

जोरहाट, 11 जुलाई

जहां एक ओर शिक्षा आधुनिक तकनीकों की ओर अग्रसर है, वहीं जोरहाट स्थित चिनामरा जातीय विद्यालय ने परंपरा और प्रकृति से जुड़ाव की मिसाल पेश की। शुक्रवार को विद्यालय परिसर में आयोजित एक विशेष कृषि कार्यशाला में छात्रों को धान की रोपाई की विधि सिखाई गई। मिट्टी से जुड़ाव, मेहनत की महत्ता और जैविक कृषि की समझ देने वाली यह शिक्षा रूपी कार्यशाला छात्रों के लिए एक जीवंत अनुभव बन गई।

विद्यालय के प्रधानाध्यापक एवं निदेशक दिव्यज्योति शर्मा ने कहा, “शिक्षा केवल कक्षा की चारदीवारी तक सीमित नहीं होनी चाहिए। बच्चों को प्रकृति, पर्यावरण और सांस्कृतिक जड़ों से भी जोड़ना जरूरी है।” उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियाँ छात्रों में आत्मनिर्भरता और ज़मीनी समझ विकसित करती हैं।

इस अवसर पर प्रधान शिक्षिका बंती बोरा महंत ने बताया कि विद्यालय में छात्रों को जैविक खाद व कीटनाशक बनाने की विधियाँ भी सिखाई जाती हैं, जिससे वे टिकाऊ खेती के मूल्यों को समझ सकें।

विद्यालय की इस पहल को अभिभावकों ने भी खूब सराहा। एक अभिभावक प्रशांत सैकिया ने कहा, “हम अपने बच्चों को इस विद्यालय में इसलिए पढ़ाते हैं क्योंकि यहां उन्हें जीवन से जुड़े असली पाठ सिखाए जाते हैं, न कि केवल किताबों के।”

चिनामरा जातीय विद्यालय का उद्देश्य बच्चों को जीवन के हर पहलू से परिचित कराना है—चाहे वह पाठ्यक्रम हो या खेत की मिट्टी। इस कृषि कार्यशाला ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वास्तविक शिक्षा वहीं है जो जीवन के लिए तैयार करे।

 

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