खनन

गुवाहाटी में दूसरा उत्तर-पूर्व भूगर्भ एवं खनिज मंत्री सम्मेलन का उद्घाटन

गुवाहाटी 27 जून(असम.समाचार)

विकास शर्मा

असम ने खनिज क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार करते हुए बड़े निवेश की राह प्रशस्त की है। केंद्र सरकार ने उत्तर-पूर्व के खनिज और कोयला संभावनाओं को विकसित करने के लिए पूर्ण समर्थन की प्रतिबद्धता दोहराई है।
आज गुवाहाटी के निकट प्राकृतिक वादियों के बीच स्थित सोनापुर मेफेयर स्प्रिंग वैली रिसॉर्ट में दूसरे उत्तर-पूर्व भूगर्भ एवं खनिज मंत्री सम्मेलन का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा, केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी, राज्यमंत्री सतीश चंद्र दुबे तथा उत्तर-पूर्व के विभिन्न राज्यों के खनिज मंत्री और प्रतिनिधि उपस्थित थे।

 

समारोह के आरंभ में खनिज अन्वेषण, सतत खनन विधियों और क्षेत्रीय अनुकूल तकनीकों पर आधारित एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया।

मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि असम के दीमा हसाओ जिले के उमरांगसो क्षेत्र में सात चूना पत्थर खनिज ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया आरंभ की गई है, जिनमें से पाँच की नीलामी पूरी हो चुकी है और बाकी के लिए लेटर ऑफ इंटेंट जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि शेष दो ब्लॉकों की नीलामी अगस्त 2025 तक संभव है, और दिसंबर 2025 तक कम से कम एक ब्लॉक चालू हो जाएगा।

मुख्यमंत्री ने बताया कि “एडवांटेज असम 2.0” समिट में राज्य के खनिज विभाग को ₹46,000 करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले हैं और 14 एमओयू साइन हुए हैं। उन्होंने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने असम राज्य खनिज न्यास के गठन को मंजूरी दी है और नई खनिज नीति अंतिम चरण में है।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के तहत शिक्षा, पेयजल, स्वास्थ्य, महिला और बाल कल्याण, वरिष्ठ नागरिकों तथा कौशल विकास जैसे विषयों पर किए गए प्रयासों का उल्लेख किया और सभी उत्तर-पूर्व राज्यों से केंद्र के सहयोग से सक्रिय खनिज अन्वेषण को बढ़ावा देने की अपील की।

केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने उत्तर-पूर्व की खनिज संपन्नता को भारत के ऊर्जा सुरक्षा में अहम बताते हुए कहा कि यहां की अव्यवहृत संपदाओं को आर्थिक विकास, रोजगार और स्थानीय सशक्तिकरण का साधन बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सभी राज्यों को राज्य-विशेष खनन योजनाएं बनाने में पूर्ण सहयोग देगी।

राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने सम्मेलन को क्षेत्रीय आर्थिक पुनरुत्थान की दिशा में ऐतिहासिक बताया। उन्होंने असम, मेघालय और सिक्किम में चूना पत्थर और ऑक्साइड की प्रचुरता का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे न केवल रोजगार मिलेगा बल्कि आत्मनिर्भर भारत का निर्माण भी होगा।

कोयला मंत्रालय के सचिव विक्रम देव दत्त ने बताया कि उत्तर-पूर्व में उच्च कैलोरी, कम राख और तुलनात्मक रूप से अधिक सल्फर वाले कोयले की मौजूदगी है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय निधियों से होने वाले अन्वेषण में 10% राशि विशेष रूप से उत्तर-पूर्व के लिए निर्धारित है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के पांच कोयला ब्लॉक सफलतापूर्वक नीलाम किए गए हैं जिनसे सालाना ₹800 करोड़ का राजस्व और 1650 रोजगार सृजित होंगे।

खनन सचिव वी एल कांत राव ने बताया कि भारत के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने उत्तर-पूर्व के 36,000 वर्ग किमी क्षेत्र को खनिज संभावनाओं से युक्त पाया है। असम अब राष्ट्रीय खनिज नीलामी मानचित्र पर मजबूती से उभरा है। उन्होंने अन्वेषण में AI के प्रयोग और अनुसंधान को बढ़ाने की अपील की। उन्होंने यह भी बताया कि भारत का पहला एआई-समर्थित अन्वेषण प्रोजेक्ट राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट के तहत उत्तर-पूर्व में चल रहा है।

सम्मेलन में “Geological Potential of North East India” नामक दस्तावेज़ का विमोचन हुआ, जिसमें आठों राज्यों की खनिज संभावनाओं को शामिल किया गया है। इसमें रणनीतिक अन्वेषण, अनुसंधान, वृद्धि और सतत विकास की रूपरेखा दी गई है।

भविष्य के निवेश मार्गदर्शन के लिए दिब्रूगढ़ (असम), पूर्वी कामेंग (अरुणाचल प्रदेश), कामजोंग (मणिपुर), पूर्वी गारो (मेघालय), आइजोल (मिजोरम), फेक (नगालैंड), नामची (सिक्किम) और गोमती (त्रिपुरा) को सम्मिलित करते हुए जिला स्तरीय संसाधन मानचित्र जारी किए गए।

मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण को उत्तर गुवाहाटी में 2 बीघा भूमि नए क्षेत्रीय कार्यालय हेतु प्रदान की। साथ ही टिराप और टिकक मुक्त कोयला खनियों के विस्तार हेतु कोल इंडिया लिमिटेड को आबंटन पत्र प्रदान किया गया।

सम्मेलन में असम के खनिज मंत्री कौशिक राय, सिक्किम के मंत्री पिंत्सो नामग्याल लेप्चा, अरुणाचल के मंत्री वांकी लोवांग, नगालैंड के विधायक डब्ल्यू. चिंगांग कन्याक, मेघालय के मंत्री ए टी मंडल आदि उपस्थित थे।

प्रारंभिक सत्रों में खनिज अन्वेषण, राज्य सुधार, नवाचार, सतत कोयला खनन, नवीकरणीय ऊर्जा और सुरक्षा विषयों पर तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। दूसरे दिन राज्यों की विस्तृत प्रस्तुतियाँ और सहयोगात्मक रणनीति पर चर्चा होगी।

उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2024–25 में 283 खनिज ब्लॉक नीलामी के लिए तैयार हैं, जिनमें से 161 की सफल नीलामी हो चुकी है। इससे कुल संख्या 515 हो गई है, जिनमें असम के 5 और अरुणाचल के 4 जटिल ब्लॉक शामिल हैं।

यह उत्तर-पूर्व के औद्योगिक विकास और रोजगार को नया मार्ग प्रदान कर रहा है तथा सरकार की पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह सम्मेलन “विकसित भारत” दृष्टिकोण के अनुरूप उत्तर-पूर्व के खनिज और कोयला क्षेत्र में निवेश, नवाचार और समावेशी वृद्धि को गति देने में उत्प्रेरक सिद्ध होगा।

ज्ञात हो कि पहला सम्मेलन अक्टूबर 2022 में नागालैंड में हुआ था।

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