असम

“न्याय की ढाल, जनता का विश्वास।” मंत्री पीयूष हजारिका ने अपने फेसबुक अकाउंट में असम के मुख्यमंत्री डॉ. हेमंत विश्व शर्मा को एक रक्षक के रूप में दिखाया

"कांग्रेस सरकार के समय में असम में नशे का प्रसार हुआ। कांग्रेस सरकार के निष्क्रिय रवैये और उदासीनता के कारण वर्षों तक नशे पर नियंत्रण नहीं रहा, जिसकी वजह से कई प्रतिभाशाली युवाओं का जीवन बर्बाद हो गया।"

विकास शर्मा/असम.समाचार

गुवाहाटी 25 जुलाई

असम के मंत्री पीयूष हजारिका ने अपने फेसबुक अकाउंट पर मुख्यमंत्री डॉ हेमंत विश्व शर्मा का एक पोस्टर शेयर किया है जिसमें मुख्यमंत्री को अशोक स्तंभ अंकित ढाल पकड़े हुए दिखाया गया है, जो न्याय, शक्ति और भारतीय संविधान के मूल्यों का प्रतीक है।

उनके पीछे खड़े आम लोग,
किसान और ग्रामीण जनता यह दर्शाते हैं कि वह जनता की सुरक्षा और भलाई के लिए खड़े हैं।

चित्र के निचले हिस्से में पुलिस और अपराधियों के बीच संघर्ष को दर्शाया गया है, जो कानून-व्यवस्था बनाए रखने की उनकी सख्त नीतियों को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है।

पृष्ठभूमि में अंधेरे और उजाले का विरोधाभास यह बताता है कि सरकार अंधकार (अपराध/अन्याय) से जनता को उजाले (सुरक्षा और विकास) की ओर ले जा रही है।

पीयूष हजारिका द्वारा यह पोस्टर फेसबुक पर लगाने का मतलब:

यह असम सरकार की सशक्त और निर्णायक छवि प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। यह पोस्टर यह संदेश देता है कि डॉ. हेमंत विश्व शर्मा की अगुवाई में राज्य के लोगों का भविष्य सुरक्षित, संरक्षित और उज्ज्वल है।

असम के मंत्री पीयूष हजारिका ने अपने फेसबुक अकाउंट के जरिए यह पोस्टर शेयर करते हुए लिखा है:

“कांग्रेस सरकार के समय में असम में नशे का प्रसार हुआ। कांग्रेस सरकार के निष्क्रिय रवैये और उदासीनता के कारण वर्षों तक नशे पर नियंत्रण नहीं रहा, जिसकी वजह से कई प्रतिभाशाली युवाओं का जीवन बर्बाद हो गया।”

लेकिन, जैसे ही असम में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, स्थिति बदल गई। माननीय मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा के सशक्त नेतृत्व में नशे और तस्करों के खिलाफ ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ युद्ध छेड़ा गया है।

इस अभियान में बड़े ड्रग माफिया और तस्करों को गिरफ्तार किया गया, सिंडिकेट नेटवर्क को ध्वस्त किया गया और असम पुलिस पूरे राज्य में नियमित व कड़े एंटी-ड्रग ऑपरेशन चला रही है।

सीमावर्ती इलाकों से लेकर असम के शहरों तक नशे के खिलाफ सशक्त लड़ाई लड़ी जा रही है। इस लड़ाई का नेतृत्व स्वयं माननीय मुख्यमंत्री कर रहे हैं। समय-समय पर वे खुद इस अभियान की जानकारी जनता तक पहुंचा रहे हैं।

यह सिर्फ एक सुशासन की व्यवस्था नहीं है, बल्कि असम के भविष्य को सुरक्षित करने का एक मिशन है।”

 

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