धनखड़ ने खोया सरकार का भरोसा, चिदंबरम बोले ,सीमा लांघने की मिली सजा

नई दिल्ली, 23 जुलाई (राष्ट्रीय डेस्क)
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद पी. चिदंबरम ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने मंगलवार को एक मीडिया हाउस से विशेष बातचीत में कहा कि धनखड़ ने अपनी सीमा पार कर ली थी और जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव स्वीकार कर सरकार का विरोध किया था। यही वजह रही कि उन्हें उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा।
चिदंबरम ने दावा किया, “इस घटनाक्रम से सरकार और धनखड़ के रिश्ते खराब हो गए होंगे। यह साफ है कि अब दोनों एकमत नहीं हैं। जब सरकार ने उन पर भरोसा खो दिया, तो उन्हें जाना ही पड़ा।”
“धनखड़ का समर्थन खत्म”
चिदंबरम ने राज्यसभा में धनखड़ के इस्तीफे की औपचारिक घोषणा को इस बात का सबूत बताया कि सरकार और धनखड़ के बीच आपसी सम्मान खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि कोई विदाई समारोह न होना इस बात का संकेत है कि सरकार का समर्थन अब धनखड़ के साथ नहीं है।
“उपसभापति ने महज औपचारिक घोषणा की और कहा कि कार्यक्रम की सूचना बाद में दी जाएगी। इसका मतलब है कि सरकार ने बिना धूमधाम के धनखड़ को विदाई दे दी, जिससे स्पष्ट है कि दोनों के रिश्ते पूरी तरह टूट चुके हैं।”
न्यायपालिका से टकराव का आरोप
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच बढ़ते तनाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि धनखड़ पिछले एक साल से न्यायिक मुद्दों पर टकराव का रुख अपनाए हुए थे। 74 वर्षीय धनखड़ ने अगस्त 2022 में पदभार ग्रहण किया था और उनका कार्यकाल 2027 तक तय था।
“मोदी सरकार तभी तक समर्थन करती है…”
चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार व्यक्तियों का समर्थन तभी तक करती है, जब तक वे सरकार की लाइन पर चलते हैं। “जैसे ही कोई व्यक्ति सरकार के रुख से हटता है, उसका समर्थन वापस ले लिया जाता है। मैं यह नहीं कह रहा कि धनखड़ के मामले में बिल्कुल ऐसा ही हुआ है, लेकिन कुछ तो हुआ होगा।”
बैठक का बहिष्कार और नाराज़गी
चिदंबरम ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि बीजेपी नेता जे.पी. नड्डा और किरण रिजिजू बैठक में शामिल नहीं हुए, जिसे बहिष्कार माना गया। उन्होंने कहा कि धनखड़ इस घटनाक्रम से नाराज़ दिखे और बैठक खत्म कर दी।
विपक्ष का रुख वही
इस सवाल पर कि क्या विपक्ष पूर्व उपराष्ट्रपति के प्रति अपना रुख बदल रहा है, चिदंबरम ने साफ किया कि विपक्ष ने पहले ही धनखड़ पर भरोसा खो दिया था।