असम के सपूत को अंतिम विदाई: आंसुओं और श्रद्धांजलि के साथ शहीद प्रणेश्वर कोच पंचतत्व में विलीन,कोकराझार में गूंजे ‘अमर रहे’ के नारे

कनक चन्द्र बोरो
कोकराझार, 17 जुलाई(असम.समाचार)
नक्सल विरोधी अभियान के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए सीआरपीएफ के शहीद जवान प्रणेश्वर कोच को गुरुवार को असम के कोकराझार जिले के मंगुरमारी गांव में पूरे राजकीय और सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। गांव में शोक और गर्व का माहौल एक साथ देखने को मिला।
उनकी अंतिम यात्रा में हज़ारों की संख्या में स्थानीय लोग उमड़ पड़े। शहीद का पार्थिव शरीर उस आंगन में लाया गया जहां कभी वह बचपन में खेला करते थे। आज वही आंगन शोकाकुल था, पर देशभक्ति से ओतप्रोत।
अंतिम संस्कार में शामिल हुए वरिष्ठ अधिकारी
अंतिम संस्कार में सीआरपीएफ के आईजीपी (NES, शिलांग) अंगसुमन यादव, कोकराझार के विधायक लॉरेंस इस्लारी, उपायुक्त मसांडा एम पर्टिन, जिला प्रशासन के अधिकारी, असम पुलिस के उच्चाधिकारी, जनप्रतिनिधि व स्थानीय ग्रामीण बड़ी संख्या में शामिल हुए।
‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद प्रणेश्वर कोच अमर रहें’ के नारों से गूंजा इलाका
जैसे ही शहीद की पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के लिए लाया गया, पूरे गांव में “शहीद प्रणेश्वर कोच अमर रहें”, “भारत माता की जय” जैसे नारे गूंजने लगे। ग्रामीणों की आंखें नम थीं, लेकिन गर्व से सिर ऊंचा।
मिली शहीद को सैन्य सलामी
सरकारी प्रोटोकॉल के तहत सैन्य सम्मान और बंदूक की गोलियों की सलामी के साथ अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। पूरे सम्मान और गरिमा के साथ राष्ट्रीय ध्वज में लिपटे शहीद के पार्थिव शरीर को अंतिम विश्राम स्थल तक पहुंचाया गया।
सीआरपीएफ अधिकारी ने कहा
‘उनका बलिदान सदा रहेगा प्रेरणा’
इस अवसर पर एक वरिष्ठ सीआरपीएफ अधिकारी ने कहा, “प्रणेश्वर कोच ने साहस और समर्पण के साथ देश सेवा की। वे भले ही अब हमारे बीच न हों, लेकिन उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देगा।”
गांव में उमड़ा देशभक्ति का ज्वार
शहीद के बलिदान से न केवल उनके परिवार में, बल्कि पूरे इलाके में गहरी शोक की लहर है। लेकिन उनके अदम्य साहस और राष्ट्र के प्रति निष्ठा ने लोगों के दिलों में देशभक्ति की ज्वाला जला दी है। गांव के लिए वे सिर्फ एक जवान नहीं, बल्कि एक अमर नायक बन गए हैं।
शहीद प्रणेश्वर कोच का नाम अब इस क्षेत्र में वीरता और देशसेवा की मिसाल बन गया है। उनका बलिदान सदैव याद किया जाएगा।